शनिवार, 7 फ़रवरी 2009

गीता को राष्ट्रिय ग्रन्थ घोषित करें



श्रीमद भगवद गीता को भारत का राष्ट्रिय ग्रन्थ घोषित करने के लिए 'विश्व गीता प्रतिष्ठानम द्वारा आयोजित देश- प्रदेश के विभिन्न स्वाध्याय मंडल के सदस्यों द्वारा राष्ट्रिय स्तर पर यह अभियान चलाया जा रहा है। इसी के तहत ०६ फ़रवरी को 'विश्व गीता प्रतिष्ठानम ग्वालियर के मंत्री राकेश कुमार सिंह चौहान और उपाध्यक्ष संयोजक इश्वरदयाल शर्मा के नेतृत्व में श्रीमद्भागवत गीता को राष्ट्रिय ग्रन्थ घोषित करने के लिए राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन ग्वालियर के कलेक्टर को सौंपा। जिसमे कहा गया है कि गीता विश्व बंधुत्व को प्रचारित करने वाला सभी धर्मों से परे एक श्रेष्ठ दार्शनिक ग्रन्थ है। जिसमें ज्ञान-विज्ञानं और अध्यात्म कि लोक मंगलकारी भावना कि अभिव्यक्ति प्रकाशित हुई है।

विश्व की नज़र में श्रीमाद्भागवाद गीता ----
अल्बर्ट आइन्स्टाइन-
जब मैंने गीता पढ़ी और विचार किया कि कैसे इश्वर ने इस ब्रह्माण्ड कि रचना की है, तो मुझे बाकी सब कुछ व्यर्थ प्रतीत हुआ।

अल्बर्ट श्वाइत्जर -
भगवत गीता का मानवता कि आत्मा पर गहन प्रभाव है, जो इसके कार्यों में झलकता है।

अल्ड्स हक्सले -
भगवत गीता ने सम्रद्ध आध्यात्मिक विकास का सबसे सुवयाव्स्थित बयान दिया है। यह आज तक के सबसे शाश्वत दर्शन का सबसे स्पष्ट और बोधगम्य सार है, इसलिए इसका मूल्य केवल भारत के लिए नही, वरन संपूर्ण मानवता के लिए है।

हेनरी डी थोरो -
हर सुबह मैं अपने ह्रदय और मस्तिष्क को भगवद गीता के उस अद्भुत और देवी दर्शन से स्नान कराता हूँ, जिसकी तुलना में हमारा आधुनिक विश्व और इसका साहित्य बहुत छोटा और तुच्छ जान पड़ता है।

हर्मन हेस -
भगवत गीता का अनूठापन जीवन के विवेक की उस सचमुच सुंदर अभिव्यक्ति में है, जिससे दर्शन प्रस्फुटित होकर धर्म में बदल जाता है।

रौल्फ वाल्डो इमर्सन -
मैं भागवत गीता का आभारी हूँ। मेरे लिए यह सभी पुस्तकों में प्रथम थी, जिसमे कुछ भी छोटा या अनुपयुक्त नहीं किंतु विशाल, शांत, सुसंगत, एक प्राचीन मेधा की आवाज जिसने एक - दूसरे युग और वातावरण में विचार किया था और इस प्रकार उन्हीं प्रश्नों को तय किया था, जो हमें उलझाते हैं।


थॉमस मर्टन-

गीता को विश्व की सबसे प्राचीन जीवित संस्कृति, भारत की महान धार्मिक सभ्यता के प्रमुख साहित्यिक प्रमाण के रूप में देखा जा सकता है।


डा. गेद्दीज़ मैकग्रेगर -

पाश्चात्य जगत में भारतीय साहित्य का कोई भी ग्रन्थ इतना अधिक उद्धरित नहीं होता जितना की भगवद गीता, क्योंकि यही सर्वाधिक प्रिय है.

भारत के महापुरुषों ने भी समय- समय पर गीता के सम्बन्ध में अपने विचार दिए है. इस ग्रन्थ के सम्बन्ध में आपके क्या विचार हैं........








6 टिप्‍पणियां:

Rahul kundra ने कहा…

हिन्दी ब्लोग्स की दुनिया में स्वागत है दोस्त। खुदा आपको कामयाबी दे।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

I fully agree on this mission.
Geeta is one of the many book with high class management techniques and should be declared so.

www.जीवन के अनुभव ने कहा…

BAHUT ACHCHHI BAAT UTHAI AAPANE. GITA VAKAI AISA GRANTH HAI JISE RASHTRIYA GRANTH KA DARJA MILANA CHAHIYE.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

बहुत ही उम्दा विचार.......
सचमुच जिसने गीता को समझ लिया, उसने इस सृ्ष्टि को जान लिया.
शुभकामनाऎं........

रचना गौड़ ’भारती’ ने कहा…

भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लि‌ए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

ham bhee aapke saath hai. narayan narayan