गुरुवार, 20 अगस्त 2009

तू चीन रख ले मुझे पाकिस्तान देदे यार...



शीर्षक पड़ कर आप चौक गए होंगे है न .... चौकना भी लाज़मी है अब तक लोग भारत के हिस्सों की ही मांग कर रहे थे॥ ये कौन आ गए जो धूर्त चीन और कपटी पकिस्तान को ही मांगे जा रहे है... है भाई कुछ लोग है जो रोज ऐसा करते है, पर उसके पीछे चीनी मानसिकता और पाकिस्तानी सोच नही होती। जब भी आपको मौका मिले तो शाम के वक्त ठीक ठीक वक्त बताऊँ तो ९ बजे.... हाँ ठीक ९ बजे के आस पास किसी भी अखबार के दफ्तर में आप चले आईये। पेज लगते वक्त बातचीत का जो दौर बेहद रोचक होता है। लेकिन सिर्फ़ शान्ति से बैठकर सुनने वाले के लिए वहां काम करने वाले पत्रकार के लिए तो वो समय युद्घ के मैदान की तरह होता है... क्योकि उस वक्त उसका पूरा ध्यान काम पर होता है उसे डेडलाइन से पहले अपनी जिमेदारी पूरी करने होती है तो उसका ध्यान तो इस तरह की मजेदार बातचीत पर कम ही जा पता है... हाँ किसी को मजे लेने हो तो वो उस वक्त वहां पहुँच कर खूब मजे ले सकता है... भागती जिंदगी के बीच कुछ क्षण हंस सकता है... उन पलों में किस तरह की बातचीत होती है उसके कुछ नमूने देखिये.......

१- अरे यार पूरा पाकिस्तान तू लेगा क्या कुछ मुझे भी दे दे। अच्छा एक काम कर तू मुझे चीन और श्रीलंका ही देदे । (कुछ मेरे पेज पर भी जाने दे भाई...)

२- मनकू जी जरा १३ (पेज नंबर) से अफगानिस्तान को ८ पर पटक दे...
3- भाई ये सोनिया और मनमोहन को एक ही बॉक्स में लगा दे॥ फिर ठीक लगेगा।
४- और हाँ सुन... ये बाबा और सेलिना जेटली को सिंगल सिंगल लेकिन पास पास मत लगाना..
५- उर्जा मंत्री ज्यादा फ़ैल रहा है... इसे नीचे से काट के साइड में लगा न यार....
६- क्या कर रहा है तू भी न... राहुल बाबा को कहाँ गुसेड दिया जरा उसे फ्रंट पर ला...
७- जल्दी कर भाई राजधानी में ही लटका रहेगा क्या? राजधानी जल्दी से छोड़ कर बालाघाट को पकड़... बालाघाट को निपटा कर जरा ग्वालियर को भी देख लेना......

८- उसको फोन लगा के पूछो अभी तक सतना क्यों नहीं आया....
इस तरह की बातो में फ्री बैठ कर सुनने वाले को बड़ा आनद आता है... मैं भी रोज सुनता रहा पर कभी ध्यान नहीं गया... मेरा ध्यान भी उस दिन गया जब मैं निठल्ला बैठा.... उस दिन ही मैंने सोचा क्यों न इस मजेदार तथ्य से अपने मित्रो को परिचय करों... अगर समय हो तो कभी सुनना..... फिर महसूस करना.... डेस्क पर बैठे बैठे ही देश-विदेश की उठापटक हो जाती है... सारे नेताओ की खींचातानी भी..... जिसको काटना पीटना होता है... बड़ा छोटा करना होता है उसे भी बड़ा छोटा कर देते है.... ये तो कुछ एक नमूने थे घटते तो इससे भी अधिक रोचक है....

9 टिप्‍पणियां:

Desk Of Kunwar Aayesnteen @ Spirtuality ने कहा…

Abhar behatarin anubhav share karne ke liye....yahi to ras hoga vahan ka...

रामकृष्ण गौतम ने कहा…

Interesting Buddy. Fantastic!
Keep It uP.

Regards

Ram K Gautam

www.जीवन के अनुभव ने कहा…

vaah bhai kya khub anubhav hai. anubhav ko shabdo ki mala me bahut khubsurat dhang se piroya hai.

Randhir Singh Suman ने कहा…

thik hai.

SACCHAI ने कहा…

waah bahut hi accha laga aapke blog per aaker

----- eksacchai { AAWAZ}

http://eksacchai.blogspot.com

krishna ने कहा…

bahut achha.....

Deepak Kumar ने कहा…

apke blog par akar achha laga...
apne bahut hi majedar dang se news room ki sthti bayan ki hai....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ROCHAK HAI BAHOOT ...... SACH MEIN JO JIS PROFESSION KA HOTAA HAI VO US MEIN HAASY DHOOND HI LETA HAI .... AUR HONA BHI CHAHIYE AISE HI .....

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

अच्छा लगा. रोज़मर्रा में हास्य ढूँढने के लिए शुक्रिया आपका.