रविवार, 10 मई 2009

मदर'स डे

माँ आखिर माँ होती है .... उससे बढ़कर शायद इस दुनिया में कोई भी नही। एक मूक प्राणी के जीवन का पोषण भीमाँ के हाथों में ही होता है। इस कुतिया को ही देख लीजिये ख़ुद कितनी कमजोर शरीर की है लेकिन फ़िर भी अपनेबच्चो को बहुत ही प्रेम के साथ दूध पिला रही है... माँ के इस प्यार ने बरबस ही मुझे अपनी और खींच लिया था... जिसे में अपने मोबाइल के कैमरे में कैद किया बिना नही रह पाया था।

3 टिप्‍पणियां:

www.जीवन के अनुभव ने कहा…

सच माँ ऐसी ही होती है जो अपनी पीड़ा को बच्चों की पीड़ा से कमतर समझती है। बच्चें को खरोंच ही क्यों न आ जाए उसकी टीस तो माँ को होती ही है। और उसका पेट भी अक्सर बच्चे को भरपेट खाना खिलाने से ही भर जाता है। उसके बच्चे के चेहरे पर संतुष्टि का ही उसे संतुष्ट कर पाता है।

www.जीवन के अनुभव ने कहा…

सच माँ ऐसी ही होती है जो अपनी पीड़ा को बच्चों की पीड़ा से कमतर समझती है। बच्चें को खरोंच ही क्यों न आ जाए उसकी टीस तो माँ को होती ही है। और उसका पेट भी अक्सर बच्चे को भरपेट खाना खिलाने से ही भर जाता है। उसके बच्चे के चेहरे पर संतुष्टि का भाव ही उसे संतुष्ट कर पाता है।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

माँ का हर रूप कोमल, सुन्दर और ममतामयी होता है, माँ की याद तो हर पल आती है...........
सुन्दर चित्र है