
रविवार की रात ही की बात है। मैं हिन्दी फ़िल्म 'करम' देख रहा था। उसमें शायनी आहूजा का अभिनय देख कर काफी प्रभावित हुआ। हांलाकि मैंने इससे पहले भी शायनी की अन्य फिल्में भी देखी थी। सभी फिल्मों में उसने बड़ी ही संजीदा भूमिका निभाई थी। मैं बोलीवुड के जिन कलाकारों को अधिक पसंद करता हूँ उनमे शायनी आहूजा का नाम भी शामिल था ( अब नही )। हाँ तो बात रविवार की है.... इधर में उसकी फ़िल्म में खोया हुआ था उधर वो अपने घ्रणित कार्य के कारन पुलिस हिरासत में... जहाँ एक ओर वह फ़िल्म करम में एक ईमानदार और कर्मठ पुलिस वाले की भुमिका निभा रहा था वहीँ दूसरी ओर वो अपनी चिरकुट हरकत के लिए पुलिस हिरासत में अपराधी की भूमिका में था।
मैंने रात में ही न्यूज़ चैनल पर यह ख़बर देखी तो दिल को बड़ा आघात लगा। मेरे मन आया कि मैं इस दुष्ट की फ़िल्म क्यो देख रहा था... मैंने उसी पल तय किया अब भविष्य में कभी भी इस टुच्चे की फ़िल्म नही देखूंगा। क्योकि मैंने समाचार में सुना की इसने अपनी नौकरानी के साथ दुष्कर्म किया है। इसकी शिकायत नौकरानी ने अंधेरी (प.) स्थित ओशिवारा पुलिस स्टेशन में दर्ज करायी है। नौकरानी का आरोप है कि रविवार दोपहर 3 से 5 बजे के बीच आहूजा ने अपनी पत्नी की गैर मौजूदगी में उसके साथ दुष्कर्म किया। शायनी आहूजा ने रात में ही अपना जुर्म कबूल कर लिया है। सुबह होश में आने पर उसने कहा की वो सब तो नौकरानी की रजामंदी से हुआ था। भगवन ही जनता कि है रजामंदी से हुआ या नही। पर जो भी आहूजा ने किया वो तो ग़लत था न। अगर नौकरानी की रजामंदी से हुआ है तो फ़िर उसने शिकायत क्यों की? यह प्रश्न उठता है। और रात में आहूजा ने अपना जुर्म क्यो स्वीकार किया? यह प्रश्न भी सामने आता है. मेरा मानना है की आहूजा ने न सिर्फ़ अपनी नौकरानी का मान मर्दन किया है बल्कि अपनी पत्नी को धोखा दिया है, उसके साथ विश्वाश्घात किया है। हिन्दी फ़िल्म जगत में अक्सर ऐसा ही होता है। पता नही इन लोगों को समाज की मर्यादाओं को तोड़ने में और दुष्कर्म करने में कितना मजा आता है... ठीक है आप खूब करो उल्टे सीधे कर्म करो। पर कम से कम लोगो के नायक मत बनो। असल और फिल्मी जिन्दगी में भी जैसा जीते हो, अपने लिए वैसी ही भूमिका का चयन करें। मेरी लोगो से अपील है की ऐसे किसी भी हीरो की फ़िल्म न देखे.......